Thursday, January 17, 2008

कसम खाने से बचे

हजरत इब्ने उमर रजि० बयान करते है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- अल्लाह तआला तुम्हें इस बात से मना फरमाते है कि तुम अपने बाप दादा की कसम खाओ, किसी शख्स को (अगर) कसम खानी ही हो तो (उसे चाहिए कि) वह अल्लाह की कसम खाए या चुप रहे। (बुखारी, मुस्लिम)हजरत अब्दुर्रहमान इब्ने समरा बयान करते है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- न बुतों की कसम खाओ और न अपने बाप-दादा की।' (मुस्लिम)हजरत इब्ने उमर (रजि०) बयान करते हैं कि नबी करीम (सल०) इस तरह कसम खाया करते थे, कसम है दिलों को फेरने वाले की।' (बुखारी)हजरत इब्ने उमर (रजि०) बयान करते है कि उन्होंने एक शख्स को काबा की कसम खाते सुना तो फरमाया अल्लाह के सिवा किसी और की कसम न खाओ। मैंने नबी करीम (सल०) से सुना है कि जो शख्स अल्लाह तआला के सिवा किसी और की कसम खाए तो उसने कुफ्र किया या शिर्क किया। (तिरमिजी)हजरत अबू हुरैरा (रजि०) बयान करते हैं कि मैने नबी करीम (सल०) को फरमाते सुना- कसम की ज्यादती का रिवाज बरकत को खत्म कर देता है। (मुस्लिम व बुखारी)हजरत अबू कतादा बयान करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया कि तिजारत मे ज्यादा कसमें न खाओ। इसलिए कि ज्यादा कसमें खाना कारोबार को (तो) बढ़ाता है (मगर) बरकत खत्म कर देता है। (मुस्लिम)हजरत साबित इब्ने जहाक बयान करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया जो शख्स इस्लाम की तालीम के खिलाफ किसी दूसरे मजहब की झूटी कसम खाए तो वह ऐसा ही हो जाता है जैसा कि उसने कहा और किसी इंसान पर उस चीज की नज्र पूरी करना वाजिब नही। जिसका वह मालिक न हो और जिस शख्स ने (दुनिया में) अपने आप को किसी चीज (मसलन छुरी वगैरह) से हलाक कर लिया तो वह कयामत के दिन उसी चीज के अजाब में मुब्तला किया जाएगा।यानी अगर किसी ने छुरी घोंप कर खुदकुशी कर ली तो कयामत में उसके हाथ में छुरी दी जाएगी जिसको वह अपने जिस्म में घोपता रहेगा। और जिस शख्स ने किसी मुसलमान पर नाहक लानत की तो वह (अस्ल गुनाह के एतबार से) ऐसा ही है जैसा कि उसने उस मुसलमान को कत्ल कर दिया हो और उसी तरह जिस शख्स ने किसी मुसलमान पर कुफ्र की तोहमत लगाई तो गोया उसने उस मुसलमान को कत्ल किया और जो शख्स झूटा दावा करे ताकि उसके माल व दौलत में इजाफा हो तो अल्लाह तआला उस के माल व दौलत में कमी कर देगा। (बुखारी मुस्लिम)हजरत अब्दुल्लाह इब्ने उमरो बिन आस (रजि०) बयान करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- बड़े गुनाह यह है। अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना, वाल्दैन की नाफरमानी करना यमीन गमूस। एक रिवायत में है कि किसी ने पूछा- यमीन गमूस, किसे कहते हैं। आप ने इरशाद फरमाया- ÷झूटी कसम के जरिये किसी मुसलमान का माल हथिया लिया जाए।'(बुखारी, तिरमिजी, मुस्लिम)हजरत अबू इमामा (रजि०) बयान करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया जिस ने अपनी कसम के जरिये किसी मुसलमान भाई का माल हथिया लिया। उसने अपने ऊपर आग वाजिब कर ली और जन्नत को अपने ऊपर हराम कर लिया। लोगों ने पूछा ऐ खुदा के रसूल चाहे मामूली सी चीज हो। जवाब में आप (सल०) ने इरशाद फरमाया, हां, चाहे मामूली मिसवाक ही क्यों न हो। (मुस्लिम इब्ने माजा)तौजीह- अल्लाह को वास्ता और गवाह बनाकर लोगों में अपना एतमाद व एतबार बहाल करना और अपनी सच्चाई को साबित करना यह है कसम की हकीकत। कभी इसकी जरूरत भी पड़ती है इसलिए कसम खाने की मनाही नही बल्कि उसकी अहमियत व अजमत बाकी रखने की जरूरत है। इसलिए बार-बार उठते-बैठते कसम खानी नापसंदीदा है। हमारी तहजीब में यह बात घुस आई है कि मौका बमौका, बात-बात पर लोग कसम खाते हैं। तजुर्बा यह है कि लोग फिर ऐसे शख्स पर एतमाद नही करते और समाज में वह बेवकअत समझा जाता है। खरीद-फरोख्त में भी कसम का बहुत रिवाज है। यह भी नामुनासिब काम है। झूटी कसम खाने में दो ऐब हैं एक तो झूट और दूसरे उसके जाहिरी नतीजे में किसी का माल गसब हो। इसलिए इस्लाम ने दुनिया व आखिरत में इस पर अजाबे शदीद की निशानदेही की है और तफसीलात और एहकामे कसम के लिए फकही किताबों की तरफ गौर करें। बहरहाल हर मुमकिन कसम खाने से परहेज करें। मजबूरी में इसकी गुंजाइश है मगर शरई तरीके पर अमल करें।

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