वैदिक स्वर्ग के कुछ दृश्य और विशेषताएँ यहाँ पेश हैं-
'हजारों नहरें मधु के स्वाद वाली तीसरे आकाश में बहती हैं ' (ऋग्वेद ९:७४:६ )
घी के हौज मधु के तालाब शराब से बहती हुयी दूध -दही और पानी से सींचने वाली सब मीठी नहरे स्वर्ग में तुझे मिलेगीं और सब कमल वाली झीलें तुझे प्राप्त होंगी (अथर्ववेद ४:३४:६ )
वह ईश्वर मेरे पास शहद , घी और शराब के साथ आया है। (अथर्ववेद १०: ६ :२५ )
वहाँ बुढापा ,शोक और थकावट नहीं , न वहाँ कोई भय है ;वहाँ गंधर्व और मनोहर अप्सराएं नृत्य ,वाद्य ,गीतों ,नाना प्रकार के हास्य द्वारा मनोरंजन करती हैं। (सभा पर्व, महाभारत ,अध्याय ७,मन्त्र २४ )
युद्ध में मारे गए वीर के लिए जलदान ,स्नान ,और न अशौच संबंधी कौम किया जाता है । लडायी में मरेगाए शूरवीर की ओर हजारों अप्सराएं यह आशा लेकर बड़े उतावलेपनके साथ दौड़ती हैं कियह मेरा पति हो जाए । (महाभारत , शान्तीपर्व ,अध्याय ९८ )