Thursday, January 17, 2008

अपने इल्म पर अमल कर लो

फकीह कुदसी (रह०) अपनी सनद के साथ हजरत अनस बिन मालिक (रजि०) से रिवायत करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि उलेमा रसूलों के अमीन होते हैं यानी अम्बिया (अलै०) की तालीमात को दयानत व अमानत के साथ लोगों तक पहुंचाने वाले होते हैं जब तक कि अमीरों व सुल्तानों से इख्तिलात (दोस्ती) न रखे और दुनियादारों में न पड़जाएं यानी दुनिया उनके कल्ब में न घुस जाए और जब उनमें दुनियादारी आ जाएगी तो बजाये अमीन होने के खाइन (बददियानत) ले जाएंगे उस वक्त उनसे दूर रहो और उनकी सोहबत से परहेज करो।हजरत अबुल दरदा (रजि०) से रिवायत है कि इंसान आलिम नही बनता जब तक कि मुतअल्लिम न हो। इसी तरह वह आलिम नही होता जब तक वह इल्म पर अमल न करे। उन्हीं से रिवायत है फरमाते है कि जो शख्स इल्म न हासिल करे जाहिल हो उस पर एक बार लानत और जो इल्म हासिल करके उस पर अमल न करे उस पर सात बार लानत।उन्ही से रिवायत है कि मुझे इसका अंदेशा और खौफ नही कि कल कयामत के दिन मुझ से सवाल हो कि ऐ अमीमर! (अवीमर उमर की तसगीर है हजरत अबुल दरदा का नाम उमर था) तूने क्या सीखा हां इसका खौफ जरूर है कि कल को मुझ से पूछा जाए कि ऐ अवीमर! तूने अपने इल्म पर कितना अमल किया।सैयदना ईसा बिन मरियम (अलै०) से रिवायत है कि जिस शख्स ने इल्म हासिल किया और अपने इल्म पर अमल भी किया वह आसमान के लोगों में अजीम शुमार किया जाता है।हजरत उमर (रजि०) से रिवायत है कि आप ने अब्दुल्लाह बिन सलाम से दरयाफ्त फरमाया कि इल्म वाले कौन लोग शुमार होते है? उन्होंने फरमाया जो लोग कि अपने इल्म पर अमल करते है वह है। हकीकत में अहले इल्म फिर पूछा कि कौन सी खसलत आम लोगों की नजरों से गिरा देती है? फरमाया कि लालच और तमाअ।हजरत ईसा बिन मरियम से मरवी है कि अंधा किस चीज के जरिये खुद को दूसरों के धक्के से बचा सकता है। यही ना कि चिराग उसके हाथ में होता कि दूसरे आंख वाले उसको देख ले और किनारे से गुजर जाएं और देखो अंधेरे घर में क्या चीज नफा बख्श होती है? चिराग ही ना जो किसी ताक वगैरह पर रखा हुआ हो। इसी तरह से समझो कि तुम को बेवकूफी, बेकद्री और बेइज्जती से हिकमत ही बचा सकती है लेकिन तुम पर अफसोस कि तुम उसको सीखते ही नही।हजरत ईसा (अलै०) से यह भी मरवी है कि दुनिया में देखो कितने पेड़ मौजूद हैं। सब तो फलदार नही होते। इसी तरह कितने उलेमा मौजूद हैं लेकिन हर एक तो मुर्शिद व रहनुमा नही होता और फल भी कितने होते हैं मगर हर एक तो उनमें से मीठा नही होता। इसी तरह देखो उलूम भी किस कदर कसरत से पाए जाते हैं लेकिन हर इल्म तो नफा बख्श नही दुआ करता।हजरत अवजाई (रह०) फरमाते हैं कि जो शख्स अपने इल्म पर अमल कर लेता है तो अल्लाह तआला उसको मजीद इल्म अता फरमा देते हैं।हजरत सहल (रह०) बिन अब्दुल्लाह फरमाते हैं कि लोग तमाम के तमाम मुर्दा हैं सिवाये उलेमा के और सारे के सारे मस्त और नशे की हालत में है सिवाये उनके जो इल्म पर अमल करने वाले हैं और इल्म पर अमल करने वाले भी सब मगरूर होते हैं या धोके में पड़े हुए हैं बजुज मुख्लिसीन के और अहले अख्लास बड़े खतरे में रहते है कि कब शैतान अजब व रिया के जरिये उनके अखलास को खत्म कर दे।नबी करीम (सल०) से मरवी है कि आप ने फरमाया कि हर आलिम लायके मोहब्बत नही है, सिवाये इसके जो पांच चीजों से तुम को रोके और पांच चीजों की तरफ तुम को बुलाए। शक से निकाल कर यकीन की तरफ बुलाए, तकब्बुर से निकाल कर तवाजे की तरफ बुलाए, अदावत से रोके और नसीहत और खैरख्वाही की तरफ बुलाए, रिया से बचाये और अखलास की तरफ बुलाए और दुनिया की मोहब्बत और उसी तरफ रगबत करने से निकाले और तुम को जुहद की तालीम और उसके हासिल करने की तरगीब दे।हजरत अली इब्ने अबी तालिब (रजि०) से मरवी है आप ने फरमाया कि जब कोई आलिम अपने इल्म पर अमल न करेगा तो जाहिल उससे कुछ सीखने और हासिल करने से बचेगा। इसलिए आलिम जब खुद ही अपने इल्म पर अमल न करेगा तो इल्म न उसके लिए नाफे होगा न दूसरो के लिए, चाहे कितने ही बोझ इल्म के जमा किए हो। फरमाया कि यह इसलिए कहता हूं कि मुझे यह बात पहुंची है कि बनी इस्राईल में से एक शख्स, उसी बडे+ संदूक इल्म की किताबों को जमा कर रखा था। अल्लाह तआला ने उस जमाने के नबी पर वही भेजी कि इस आलिम से कहो कि अगर तुम इतना ही इल्म और जमा कर लो तब भी तुम को नफा न देगा जब तक कि तुम इन तीन बातों पर अमल न कर लो। अव्वल यह कि दुनिया की मोहब्बत छोड़ दो क्योंकि यह मोमिनीन का हकीकी घर नही है। दूसरे यह कि शैतान का साथ छोड़ दो।इसलिए कि वह मोमिनीन का दोस्त नही है। तीसरे यह कि मुसलमान को तकलीफ न पहुंचाओ क्योंकि यह मोमिनीन का काम नही है और इल्म के खिलाफ है।हजरत सुफियान बिन वबीना फरमाते है कि लोगों के लिए जाहिर होना ऐब की बात है। इसलिए जो शख्स अपने इल्म पर अमल कर लेता है वह इल्म वाला है और आलिम कि अमल न करे वह जाहिल है।रिवायत में आता है कि फरिश्ते तीन लोगों के हाल पर ताज्जुब करते है। एक तो बेअमल आलिम पर जो लोगों से ऐसी बातें बयान करता हो कि उसका उस पर अमल न हो। दूसरे फासिक की कब्र पर कि खूब पुख्ता और गेज वगैरह से बनी हो और अन्दर उस पर खुदा अजाब हो रहा हो। तीसरे काफिर का जनाजा जो नक्श व निगार और रेशम और फूल से खूब आरास्ता हो और आगे जो हश्र होना है वह जाहिर है।कहा गया है कि सबसे ज्यादा हसरत कयामत के दिन तीन लोगों को होगी। एक वह आका जिसका गुलाम नेक व सालेह हो कि गुलाम तो अपनी सलाह की वजह से जन्नत में दाखिल हो जाएगा और आका जहन्नुम में दाखिल किए जाएंगे। दूसरा वह शख्स जिसने माल जमा किया हो लेकिन उसमे से अल्लाह तआला के हुकूक को न अदा किया हो। यानी जकात वगैरह न दिया हो और मर गया हो और उसका माल जिन वारिसों को मिला उन्होंने उसको अल्लाह की राह में खर्च किया तो यह वारिस तो निजात पाएंगे और जिसने माल जमा किया था वह दोजख में जाएगा।तीसरा यही बेअमल आलिम जिसने लोगों को नसीहत की। लोग तो अमल करके जन्नत में चले गए और खुद यह आलिम बेअमल दोजख में गया। एक शख्स ने हजरत हसन बसरी (रह०) से कहा कि हमारे फकहा तो यह फरमाते हैं। हजरत हसन (रह०) ने फरमाया कि मियां कभी किसी फकीह को देखा भी है? फकीह वह होता है जो दुनिया से जाहिद हो, आखिरत में रागिब हो, अपने गुनाहों पर जिसकी नजर हो, अपने रब की इबादत पर जुटा हो। कहा गया है कि जब ऐसा वक्त आ जाए कि उलेमा हलाल माल के जमा करने लग जाएं तो अवाम को मुश्तबा चीजों के खाने में डर न रहेगा और जब उलेमा मुश्तबा माल खाने लगेंगे फिर तो अवाम हराम माल के इस्तेमाल से भी न रूकेंगे और जब उलेमा हराम खाने लगेंगे तब तो अवाम काफिर ही हो जाएंगे।फकीह अबुल लैस समरकंदी (रह०) इसकी शरह में फरमाते हैं कि यह इसलिए कि जब उलेमा माल जमा करने लगेंगे तो अवाम भी उनकी नकल करेंगे और इल्म उनको होगा नही। इसलिए हराम माल भी जमा कर लेंगे और जब उलेमा हराम से न बचेंगे तो अवाम भी उनकी तकलीद करेंगे और इल्म न होने से उसको हलाल समझेंगे और कुफ्र में मुब्तला हो जाएंगे।अब्दुर्रहमान जामी

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