Thursday, January 17, 2008

मुसलमानों के हूक़ूक


कुरआन शरीफ और हदीस में हर मुसलमान के लिए कुछ हक़ मुकर्रर किए है जिन्हें अपनाना हर मुसलमान पर फर्ज है।1. मुलाक़ात के वक्त सबसे पहले सलाम करे।2. किसी शराबी, जुआरी, काफिर, मशरिक आदि से सलाम करना मना किया गया है, जब कोई मुस्लिम इनसे सलाम करता है तो हदीस में है कि गजब-ए-इलाही से अर्श कांप जाता है क्योंकि सलाम करना ताजिम है और इनमें से कोई ताज़िम के लायक नहीं।3. सलाम करना सुन्नत और उसका जवाब देना वाजिब है।4. अगर अपने अज़ीज़ या रिश्तेदार मुफलिस हो, या खाने कमाने की ताक़त ना रखते हो तो अपनी माली हालत के मुताबिक़ उनकी मदद करते रहे।5. मुसलमानो की नमाज़े जनाज़ा और उनके दफन में शरीक हो।6. रिश्तेदारों से मिलते जुलते रहना, उनके खुशी और ग़म में शरीक़ होना सुन्नते रसूल है।7. मुसलमानों की दावत को क़बुल करे।8. लोगों को उनके व्यवहार (अख़्लाक) के अनुसार बुरे कामों से रोके।9. तीन दिन से ज्यादा किसी मुसलमान से व्यवहार बंद ना करे।10. मुसलमानों का आपस में झगड़ा हो जाये तो उनके बीच सुलह कराना सुन्नत है।11. किसी को जानी व माली नुकसान न पहुंचाएं।12. जो बात अपने लिए पसंद करे वहीं दूसरे मुसलमानों के लिए भी पसंद करे।13. रास्ता भुले हुए को सीधा रास्ता दिखाए।14. किसी को लोगों के सामने ज़लील व रुसवा ना करे।आम इन्सानों के हूकूकमुसलमानों के कुछ ऐसे अधिकार है जो हर इन्सान के लिए है चाहे वह किसी भी समाज या धर्म से संबंध रखता हो।1. बिना किसी वजह के किसी को भी जानी व माली नुकसान न पहुंचाए।2. बिना किसी शरई वजह के किसी के साथ भी बद्तमिजी , बहस ना करे।3. बीमार का इलाज कराना, भुखे को खाना खिलाना, मुसिबत में किसी की मदद करना इन्सानी फर्ज है।4. किसी को सज़ा देने या लड़ाईयों में शरीअत ने जो हद दी उनसे ज्यादा ना बढ़े। ये शरीअते इस्लाम की मुकदस तालीम से हर इन्सान का हर इन्सान पर हक़ है। हदीस में हे कि 'रहम करने वालों पर रहमान रहम करता है तुम लोग ज़मीन वालों पर रहम करों तो आसमान वाला तुम पर रहम करेगा'।5. सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया है कि तमाम दुनिया में वो शख्स अल्लाह के नज़दीक होगा जो उसकी मख्लुक (दुनिया में रहने वाले) के साथ अच्छा सलुक करे।

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