Thursday, January 17, 2008

गुनाह की दो क़िस्में होती हैं

1. गुनाहे शगीरा (छोटे-छोटे गुनाह)2. गुनाहे कबीरा (बड़े-बड़े गुनाह)गुनाह शगीरा अच्छे आमाल, और इबादतों की बरक़ात से माफ हो जाते हैं, लेकिन गुनाहे क़बीरा उस वक्त तक माफ नही होते जब तक सच्चे दिल से तौबा करके अल्लाह से उनके हुक़ूक को माफ नहीं कराले।
गुनाह कबीरागुनाह कबीरा हर उस गुनाह को कहते है जिसमें खुदा की तरफ से अजाब मुकरर्र किए गए हैं।जैसेशिर्क करना, जादू करना, बिना वज़ह किसी का ख़ून करना, सूद खाना, किसी यतीम का माल खाना, चोरी, शराब, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, माँ-बाप को तकलीफ देना, किसी पर जुल्म करना, जुआ खेलना, अल्लाह की रहमत से मायुस होना, अल्लाह के अजाब से बेखौफ हो जाना, नाच देखना, औरतों को बेपर्दा घुमना, नाप तौल में कमी करना, चुगली खाना, किसी की बुराई करना, मुसलमानों को आपस में लड़ाना, किसी की अमानत में ख़यानत करना, नमाज़, रोज़ा, हज व ज़कात आदि छोड़ देना ऐसे सैंकड़ों गुनाहे कबीरा में आते हैं जिनसे बचना हर मुसलमान औरत और मर्द पर फर्ज है।
गुनाहों की वज़ह से दुनिया में भी नुकसानगुनाहों की वज़ह से आखिरत में अजाब तो मिलते ही है पर दुनिया में भी नुकसान पहुंचते रहते हैं।रोज़ी कम हो जाना, उम्र घट जाना, शारीरिक कमजोरी आना, सेहत खराब रहना, इबादतों से महरुम हो जाना, लोगो की नजर में ज़लील होना, नेमतों का छिन जाना, लाइलाज बीमारिया होना, चेहरे से ईमान का नूर निकल जाने से चेहरा बेरौनक हो जाना। हर तरफ जिल्लत, रुसवाईयों का मिलना, मरते वक्त मुंह से कलमा न निकलना। ऐसे गुनाहो से बड़े - बड़े नुकसान हुआ करते है।
इबादतों से दुनियावी फायदेइबादतों से आखिरत के फायदे तो हर शख्स जानता है। इसके साथ ही इबादतों की बरक़त से बहुत से दुनियावी फायदे भी हासिल होते है, जैसे रोज़ी बढना, माल, सामान, औलाद हर चीज़ में बरक़त होना, दुनियावी तक़लिफों और परेशानियों का दूर होना, बलाओं का टल जाना, दूसरों के दिलों में आपकी लिए मोहब्बत पैदा होना, नूर ए ईमान से चेहरे का बारौनक हो जाना, बारिश होना, हर जगह इज्जत मिलना, फाक़ा से बचा रहना, तरक्की करना, बीमारियों से शिफा पाना, खुशियों और मसर्रतों के साथ जिन्दगी बसर करना।

No comments: