Friday, January 18, 2008

vi ) हज़रत सुल्तान आफरीन साहब (बड़े सरकार) की ज़ारत (बदायूँ)

हज़रत सुल्तान आरफीन साहब का जन्म 1215 ई० में यमन में हुआ था। यह अरब के शाही शानदान से संबंधित थे। बचपन से ही इनकी रुचि धार्मिक विषयों में अधिक थी। उम्र बढ़ने के साथ - साथ धार्मिक क्षेत्र में हज़रत साहब की रुचि बढ़ती गई जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने घर त्याग दिया और फकीर का जीवन व्यतीत करने लगे। बाद में हज़रत साहब अरब से हिन्दुस्तान रवाना हुए यहाँ आकर उन्होंने बदायूँ के निकट एक सूनसान स्थान पर रहना प्रारम्भ किया । लोक कहावत के अनुसार फ़कीर होने के उपरान्त हज़रत साहब में विशिष्ट प्रकार की दिव्य शक्ति विकसित हुई । इस दिव्य शक्ति के बल पर हज़रत साहब विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों का इलाज करने लगे। शनै: शनै: उनके पास आने वाले मरीजों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि होने लगी।
लोकप्रियता के इस क्रम में लोग उन्हें बड़े सरकार के नाम से सम्भोधित करने लगे। बड़े सरकार के बारे में एक लोक मान्यता अत्यन्त प्रसिद्ध है। इसके अनुसार -- "एक बार एक ऐसा मरीज बड़े सरकार के पास आया , जिसका आधा जि पत्थर का हो गया था। बड़े सरकार ने उस मरीज के शरीर पर दृष्टि डाली। देखते ही देखते उसके शरीर का पत्थर मोम की तरह पिघलकर बह गया और वह मरीज दुरुस्त होकर वापस अपने घर चला गया।"बड़े सरकार का कहना था कि यदि कोई मरीज तीन दिनों में उनके इलाज से दुरुस्त नहीं होता, तो लोग उन्हें जिन्दा ही कब्र में दफन कर सकते हैं।
वर्तमान में बड़े सरकार की मज़ार बदायूँ में उसी स्थान पर मौजूद है जहाँ वह रहते थे और जहाँ बाद में उन्हें दफन किया गया था। आज के इस वैज्ञानिक युग में भी लोगों में यह धारणा अत्यन्त प्रबल है कि बड़े सरकार की ज़ारत पर इबादत करने वाले की बड़े और असाध्य रोगों के रोगी भी ठीक हो जाते हैं। यहाँ देश - विदेश से हजारों की संख्या में मरीज आते हैं और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं।यहाँ आने वाले मरीजों में दिमागी मरीजो की संख्या ज्यादा होती है। इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्ति भी अपने इलाज के लिए यहाँ आते हैं दिन पर बुरी हवाओं का असर होता है । इस प्रकार के रोगियों का इलाज 40 दिन तक लगातार चलता है। इलाज की प्रक्रिया में मरीज को बड़े सरकार की मजार शरीफ से स्पर्श कराया जाता है। विभिन्न रोगों से ग्रस्त रोगी बड़े सरकार की ज़ारत के प्रांगण में बने स्थाई तथा अस्थाई आवासों में नि:शुल्क रहते हैं।पूर्णतया स्वस्थ हो जाने के उपरान्त यह रोगी अपने घरों को वापस चले जाते हैं।

vii ) हज़रत बदरुद्दीन शाह (छोटे सरकार) की ज़ारत (बदायूँ)
हज़रत बदरुद्दीन बड़े सरकार के छोटे भाई थे। इनको छोटे सरकार के नाम से प्रसिद्धि मिली। यह सुल्तान उल आरफीन के शिष्य थे। छोटे सरकार की रुचि भी बचपन से धार्मिक विषयों में थी। बड़े होकर यह भी अरब छोड़कर अपने भाई के भांति बदायूँ के निकट एक शान्त क्षेत्र में निवास करने लगे। छोटे सरकार को भी विशिष्ट दिव्य शक्ति प्राप्त थी। इन दिव्य शक्तियों के बारे में तरह- तरह की मान्यताएं प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार -- "एक बार चार व्यक्ति छोटे सरकार के पास आए और अपने गुरु से प्राप्त सोना उनको दिखाया जो उन्हें गुरु की सेवा करने के बदले में मिला था। छोटे सरकार ने उस सोने को कुँए में फेंक दिया। अब छोटे सरकार ने उन चारों व्यक्तियों को आदेश दिया कि वे बाल्टियों में उस कुएं का पानी भरकर लाएं। उन चारों ने ऐसा ही किया। अब छोटे सरकार ने अपनी दिव्य शक्ति का प्रयोग करते हुए चारों बाल्टियों में भरे पानी को सोने में परिवर्तित कर दिया । वे चारों व्यक्ति अत्यन्त प्रसन्न हुए और अपने घरों को लौट गए।"
छोटे सरकार की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी मज़ार शरीफ का निर्माण कराया जो बदायूँ नगर के समीप स्थित है।एक मान्यता को अनुसार छोटे सरकार की मज़ार पर मुगल बादशाह अकबर भी आया था। अकबर ने यहाँ पुत्र प्राप्ति की मन्नत माँगी थी। यह मन्नत पूर्ण हुई और उसके यहाँ सलीम का जन्म हुआ। अकबर ने प्रसन्न होकर 700 बीघा जमान छोटे सरकार की दरगाह के नाम कर दी। आज भी देश विदेश से असंख्य लोग छोटे सरकार की दरगाह पर आते हैं और मनोकामनाएं माँगते हैं।इसके अतिरिक्त छोटे सरकार की दरगाह पर भी विभिन्न रोगों से ग्रसित रोगी अपने इलाज़ के लिए आते हैं । यहाँ मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को विशेष लाभ मिलता है। छोटे सरकार की जारत पर बुरी हवाओं के प्रभाव से ग्रस्त लोग भी अपने इलाज के लिए आते हैं।
छोटे सरकार की ज़ारत पर इलाज कराने आये लोग (बदायूँ)

2 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...

भाई आपका काम लाजवाब है, हो सके तो हमारे ब्‍लागस पर भी आओ
hamarianjuman.blogspot.com

Anwar Ansari said...

कैरान्‍वी जी क्‍या खाक लाजवाब काम है, कब्र परस्‍ती को फैलाना क्‍या लाजवाब काम है, नहीं बल्कि यह शिर्क है जो अल्‍लाह कभी माफ नहीं करेगा वर्ना मूर्ति पूजा करने में फिर क्‍या बुराई हैा पहली बात तो यही गलत है कि इसलाम में पक्‍की कब्र बनाना ही मना हैा