Thursday, January 17, 2008

औलाद पर माँ - बाप के हक

इस्लाम ने औलाद को माँ - बाप के लिए कई आदेश दिए है, जिनका पालन करना उनके लिए इतना ही ज़रूरी है, जितना कि खुदा के सिवा किसी ओर की पूजा नहीं करना। इस्लाम कहता है, 'अपने माँ-बाप के साथ अच्छा सुलूक करों। खुदा से उनके लिए दुआ करों की वह उनपर वैसा ही करम करे जैसा बचपन मै उसके पेरेन्टस ने उस पर किया।अपने पेरेन्टस के आदर में निम्न बातें शामिल हैःउनसे सच्चे दिल से मुहब्बत करें।हर वक्त उन्हे खुश रखने की कोशिश करें।अपनी कमाई दौलत, माल उनसे न छुपाएँ।माँ - बाप को उनका नाम लेकर न पुकारें।अल्लाह को खुश करना हो तो अपने माँ - बाप को मुहब्बत भरी निगाह से देखों।अपने माँ - बाप से अच्छा सुलूक करोगे तो तुम्हारे बेटे तुम्हारे साथ अच्छा सुलूक करेंगे।माँ - बाप से अदब से बात करें, डांट-डपट करना अदब के खिलाफ है।दुनिया में पूरी तरह उनका साथ दें।माँ - बाप की नाफरमानी से बचो, क्योंकि माँ - बाप की खुशनूदी में रब की खुशनूदी है और उनकी नाराजगी में रब की नाराजगी।अगर चाहते हो कि खुदा तुम्हारी बिज़नेस में फायदा दे, तो अपने माँ - बाप से रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक बनाए रखे।कभी कभी कब्र पर जाया करे, और उनके लिए दुआ करें।दुआ करे कि 'हे अल्लाह उनपर वैसा ही रहम करना जैसा उन्होने मेरे बचपन में मेरी परवरिश के समय किया'।आज हम अपनी इन्ही मज़हबी बातों से भटक गये है, हमारे माँ - बाप को आदर देने के बजाय हम अपनी दुनियावी ख्वाहिशों के लिए उनसे लड़ते - झगड़ते है, मरने के बाद उनके कब्र की ज्ञियारत तो दूर की बात है उनके लिए कोई सद्का खैरात तक नहीं करते। बुढापे में उनकी खिदमात के बजाय अपने दुनिया के फिजूल कामों में लगे रहते है। अल्लाह से मेरी ये दुआ है कि वो हमें इन गुनाहों से बचाए।

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