tag:blogger.com,1999:blog-71994502325367015862024-03-12T16:58:32.168-07:00Noori kiran { नूरी किरण {Islam- the Holy Religion }An Islamic Web Magazine(इस्लामी वेब पत्रिका)Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-57845695716954841122008-04-07T07:44:00.000-07:002008-04-07T07:45:56.762-07:00इस्लाम में औरत की हैसियतइस्लाम औरत को ज़ुल्म व अत्याचार खड्डे से निकाल कर उसे सारे मानवीय अधिकार दिए, उसे सम्मान व श्रेष्ठता प्रदान की और समाज को उस का सम्मान करना सिखाया .जैसा के इस से पूर्व के समय में उसे प्राप्त नहीं था । वह भी ऐसे समय में जब औरत गुलामी की जिंदगी गुजार रही थी । कुरान ने पूरी शक्ती के साथ कहा-- ऐ लोगो ! अपने रब से डरो, जिसने तुम्हें एक जानसे पैदा किया है। और उससे उस का जोडा बनाया और बहुत से मर्द और Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-37539158301073698192008-04-01T21:53:00.000-07:002008-04-01T22:24:11.297-07:00स्वर्ग (जन्नत)के कुछ द्रश्य (नज़ारे)वैदिक स्वर्ग के कुछ दृश्य और विशेषताएँ यहाँ पेश हैं-'हजारों नहरें मधु के स्वाद वाली तीसरे आकाश में बहती हैं ' (ऋग्वेद ९:७४:६ )घी के हौज मधु के तालाब शराब से बहती हुयी दूध -दही और पानी से सींचने वाली सब मीठी नहरे स्वर्ग में तुझे मिलेगीं और सब कमल वाली झीलें तुझे प्राप्त होंगी (अथर्ववेद ४:३४:६ )वह ईश्वर मेरे पास शहद , घी और शराब के साथ आया है। (अथर्ववेद १०: ६ :२५ )वहाँ बुढापा ,शोक और थकावट नहीं , Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-1629646010043422362008-03-31T22:47:00.000-07:002008-03-31T23:18:42.025-07:00अप्रिल फूल की हकीक़तमुस्लिम कौम को बेवकूफ बनाने का दिन है अप्रिल फूल यानी १ अप्रैल । यही वो दिन है जब यहूदी साजिश पूरी तरह कामयाब हुयी और स्पेन की आखिरी सल्तनत और उसका किला (Grenada )गर्नातः फतह कर लिया गया। और इसी दिन को अप्रिल फूल के तौर पर मनाया। जानते हैं क्यों ? क्योंकी इसी दिन मुस्लिम फौज को बेवकूफ बना कर स्पेन की मुस्लिम हुकूमत को गुलाम बनाया गया।स्पेन को जीतना किसी भी फौज के लिए बहुत कठिन मरहला था । वो Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-25440112236224207732008-01-18T03:50:00.000-08:002008-01-22T01:47:31.849-08:00vi ) हज़रत सुल्तान आफरीन साहब (बड़े सरकार) की ज़ारत (बदायूँ) हज़रत सुल्तान आरफीन साहब का जन्म 1215 ई० में यमन में हुआ था। यह अरब के शाही शानदान से संबंधित थे। बचपन से ही इनकी रुचि धार्मिक विषयों में अधिक थी। उम्र बढ़ने के साथ - साथ धार्मिक क्षेत्र में हज़रत साहब की रुचि बढ़ती गई जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने घर त्याग दिया और फकीर का जीवन व्यतीत करने लगे। बाद में हज़रत साहब अरब से हिन्दुस्तान रवाना हुए और यहाँ आकर उन्होंने बदायूँ के निकट एक सूनसान स्थान पर Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-13423944711945305072008-01-18T03:49:00.000-08:002008-01-22T01:47:55.026-08:00v ) हज़रत शाह बुलाकी साहब की ज़ारत (मुरादाबाद) हज़रत शाह बुलाकी साहब का जन्म 1042 हिज़री संवत् में स्योहारा (जिला बिजनौर) में हुआ था। हज़रत साहब बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। मदरसे में वह सदैव अपने सहपाठियों से अलग रहा करते थे। इनके सहपाठी इनको दीवाना और पागल कहकर चिढ़ाते थे। मदरसे में जब उनके उस्ताद ने जब इनसे विस्मिल्लाह शब्द बोलने को कहा , तब शाह बुलाकी साहब ने विस्मिल्लाह शब्द की व्याख्या अपने तरीके से की। इस पर उस्ताद चकित रह गए और Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-15001815194889797572008-01-18T03:46:00.000-08:002008-01-22T01:47:12.674-08:00iii ) हज़रत शाह महबूबे इलाही का मज़ार शरीफ (रामपुर) हज़रत शाह महबूबे इलाही, हज़रत हाफिज सैय्यद शाह कादरी के शिष्य थे। हज़रत शाह महबूबे इलाही ने भी लोगों को हिन्हू मुस्लिम एकता का संदेश दिया था।इनकी मज़ार रामपुर नगर में एक खूबसूरत इमारत के भीतर स्थित है। लोगों की मान्यता है कि यहाँ सच्चे दिल से माँगी हर मुराद पूर्ण होती है।लोक मान्यता है कि हज़रत शाह महबूबे इलाही की आत्मा अमर है और वह गरीब, आवश्यकतामन्द तथा तकलीफ से ग्रसित लोगों की फरियाद अवश्य सुनते Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-7182182638063403982008-01-18T03:43:00.000-08:002008-01-22T01:46:55.576-08:00ii ) हज़रत जमाल उल्लाह कादरी का मज़ार शरीफ (रामपुर)हज़रत हाफिज़ सैय्यद शाह ज़माल उल्लाह कादरी का जन्म लगभग 300 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के गूजरवाला जिला में हुआ था।रामपुर के नवाब फैजुल्ला खाँ इनके मुरीद थे। हज़रत साहब पहले नवाब फैजुल्ला खाँ की सेना में कार्यरत थे। हज़रत साहब स्वभाव से अत्यन्त विनम्र थे। आपके रहने का ढ़ंग सादगी से परिपूर्ण था। हज़रत साहब की दयालु प्रवृति को इस दृष्टान्त से ही समझा जा सकता है कि फौज में काम करने के बदले में Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-57912352719542913562008-01-18T03:40:00.000-08:002008-01-22T01:46:15.771-08:00मजारे आला हजरत (बरेली)रुहेलखण्ड क्षेत्र में ऐसे अनेक मुस्लिम धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं , जिनके प्रति मुस्लिम तथा अन्य समप्रदाय के लोगों में गहरी आस्था है।इनमें से प्रत्येक स्थल की पृथक विशेषताएँ हैं, जो उस स्थल को अन्य स्थलों से अलग करती हैं। इन धार्मिक स्थलों में अग्रलिखित विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं मजारे आला हजरत (बरेली)आला हज़रत बरेली नगर में हुए ऐसे व्यक्तित्व का नाम है ,जिसने ज्ञान और विद्वता का प्रकाश चारोंBahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-63500645188301012062008-01-17T06:20:00.000-08:002008-01-21T01:54:04.529-08:00नबी करीम (सल०) की चन्द हिदायतेंहर अच्छी बात सदका है - हजरत जाबिर (रजि०) से रिवायत है, कहते हैं कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि हर भली बात सदका है। (बुखारी)मारूफ :- अच्छी और भली बात जो शरीअत से साबित हो और उसके करने में सवाब हो, चाहे आदत व रिवाज उसके मुखालिफ हो या मवाफिक उसमें फर्ज, वाजिब, सुन्नते मोकिदा वगैर मोकिदा सब दाखिल है और हर वह जायज काम भी दाखिल है जो अल्लाह की रजा की खातिर किया जाए। अगर नेक नियत से न भी किया जाए और Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-45576499289534753932008-01-17T06:18:00.000-08:002008-01-22T01:59:50.979-08:00जकात इस्लाम का अहम सुतून हैइंसान की पैदाइश का मकसद अल्लाह तआला ने अपनी इबादत बयान किया है। अल्लाह का इरशाद है- ÷और हमने जिन्नात व इंसान को अपनी इबादत के लिए पैदा किया है' (अल कुरआन) यानी जो शख्स दुनियावी जिंदगी में अल्लाह की इबादत में मशगूल रहेगा वह अपनी जिंदगी के ऐन मकसद के मुताबिक जिंदगी गुजारने वाला होगा और उसकी कामयाबी यकीनी होगी। इसके बरअक्स जो शख्स दुनिया की इस चन्द रोजा जिंदगी में अल्लाह की इबादत में मशगूल न रहकर Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-436713523952017142008-01-17T06:17:00.000-08:002008-01-22T06:23:56.760-08:00तौबा क्या है?हदीस शरीफ में आया है कि गुनाहों से तौबा करने वाला ऐसा है कि गोया गुनाह नही किया।हमेशा गुनाहों में मुब्तला रहना और उनसे कुछ नेकी में आना यह काम शैतानों और नायब शैतानों का है और हमेशा खुदा तआला की फरमाबरदारी में रहना हमेशा अपने खालिक व मालिक के हुक्म से बाहर न जाना यह काम फरिश्तों का है। आदम और बनी आदम का काम अवामिर को बजा लाना और नवाही से बाज रहना है। अगर नफ्स व शैतान के अगवा से गुनाह सादिर व सरजदBahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-49323534551623342802008-01-17T06:16:00.000-08:002008-01-21T02:10:07.507-08:00कसम खाने से बचेहजरत इब्ने उमर रजि० बयान करते है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- अल्लाह तआला तुम्हें इस बात से मना फरमाते है कि तुम अपने बाप दादा की कसम खाओ, किसी शख्स को (अगर) कसम खानी ही हो तो (उसे चाहिए कि) वह अल्लाह की कसम खाए या चुप रहे। (बुखारी, मुस्लिम)हजरत अब्दुर्रहमान इब्ने समरा बयान करते है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- न बुतों की कसम खाओ और न अपने बाप-दादा की।' (मुस्लिम)हजरत इब्ने उमर (रजि०) Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-15187137494677317152008-01-17T06:15:00.001-08:002008-01-22T01:53:08.855-08:00अपने इल्म पर अमल कर लोफकीह कुदसी (रह०) अपनी सनद के साथ हजरत अनस बिन मालिक (रजि०) से रिवायत करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि उलेमा रसूलों के अमीन होते हैं यानी अम्बिया (अलै०) की तालीमात को दयानत व अमानत के साथ लोगों तक पहुंचाने वाले होते हैं जब तक कि अमीरों व सुल्तानों से इख्तिलात (दोस्ती) न रखे और दुनियादारों में न पड़जाएं यानी दुनिया उनके कल्ब में न घुस जाए और जब उनमें दुनियादारी आ जाएगी तो बजाये अमीन होने के Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-41081328044180165162008-01-17T06:15:00.000-08:002008-01-22T06:07:44.014-08:00अपने इल्म पर अमल कर लोफकीह कुदसी (रह०) अपनी सनद के साथ हजरत अनस बिन मालिक (रजि०) से रिवायत करते हैं कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि उलेमा रसूलों के अमीन होते हैं यानी अम्बिया (अलै०) की तालीमात को दयानत व अमानत के साथ लोगों तक पहुंचाने वाले होते हैं जब तक कि अमीरों व सुल्तानों से इख्तिलात (दोस्ती) न रखे और दुनियादारों में न पड़जाएं यानी दुनिया उनके कल्ब में न घुस जाए और जब उनमें दुनियादारी आ जाएगी तो बजाये अमीन होने के Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-44712452397615601442008-01-17T06:12:00.000-08:002008-01-22T06:36:19.028-08:00किसे मिलता है दहशतगर्दी का फायदाटेलीविजन और रेडियों पर अक्सर एक प्रोडक्ट का इश्तेहार आता है जिसमें बैकग्राउण्ड आवाज सुनाई देती है, ÷नाम ही काफी है।' लगता है कि किसी एडवरटाइजिंग कम्पनी का तैयार किया हुआ यह जुम्ला अब भारतीय जनता पार्टी और पुलिस ने दहशतगर्दी के मामलात में मुसलमानों पर पूरी तरह चस्पा कर दिया है। मुल्क के किसी भी कोने में दहशतगर्दी का कोई वाक्या पेश आते ही पुलिस बगैर कोई ताखीर किए सीद्दे एलान कर देती है कि इस वाक्येBahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-18707792134691222822008-01-17T06:02:00.000-08:002008-01-22T06:39:15.571-08:00सबसे अच्छे ईमान वालेहजरत अब्दुल्लाह बिन उमरों (रजि०) से रिवायत है कि नबी करीम (सल०) ने इरशाद फरमाया- तुम में से सबसे अच्छे वह लोग है जिनके अख्लाक अच्छे है। (बुखारी व मुस्लिम)हजरत अबू हुरैरा (रजि०) से रिवायत है कि नबी करीम (सल०) ने फरमाया कि ईमान वालों में ज्यादा कामिल ईमान वाले वह लोग है जो अख्लाक में ज्यादा अच्छे हैं। (अबू दाऊद) सबसे अच्छे ईमान वाले वह लोग है जिनके अख्लाक अच्छे हैमौलाना मोहम्मद मंजूर नोमानीनबी करीमBahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-30354137016866972302008-01-17T06:00:00.000-08:002008-01-21T02:35:18.679-08:00गीत सारे जहां से अच्छा -स्वतंत्राता संग्राम की एक अनोखी दास्तानस्वाधीनता संग्राम संबंधित किस्सों से यूं तो इतिहास भरा पड़ा है लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी भी हैं जो महत्वपूर्ण होने के बावजूद इतिहास के पन्नों में उचित स्थान प्राप्त नहीं कर सकी हैं। अल्लामा इकबाल द्वारा लिखे गये देश भक्ति गीत सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' हम हर स्वतंत्राता दिवस व गणतंत्रा दिवस पर गाते हैं लेकिन ये गीत किस स्थिति में लिखा गया ये बहुत कम लोगों को मालूम होगा।गीत की रचना हुए एक सदी Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-55996860074654055412008-01-17T05:55:00.000-08:002008-01-21T02:29:34.861-08:00इस्लाम पर आलोचना क्यों?इस्लाम पर आलोचना क्यों? मो० अहमद काज -इस्लाम दुनिया का एक मात्रा धर्म है जो हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है और इस परिदृश्य में ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जितनी चर्चा इस्लाम पर हो चुकी है उतनी किसी धर्म पर नहीं हुई होगी। ११सितंबर २००१ को अमेरिका स्थित वर्ल्ड ट्रेड टावर और रक्षा कार्यालय पेंटागन पर हुए हमले के बाद इस बहस ने नई दिशा ले ली है। यानी इस्लाम को सीधे सीधे आतंकवाद से जोड़ने के साथ येBahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-45870125451218312512008-01-17T05:53:00.000-08:002008-01-21T02:49:28.205-08:00बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम का बयानबिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम का बयानरसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया कि जो शख्स 'बिस्मिल्लाह' पढ़ता हो तो अल्लाह तआला उसके लिए दस (10) हज़ार नेकियाँ लिखता है और शैतान इस तरह पिघलता है, जैसे आग में रांगा। हर ज़ीशान (अहम) काम जो 'बिस्मिल्लाह' से शुरू न किया जाए, वह नातमाम (अधूरा) रहेगा और जिसने 'बिस्मिल्लाह' को एक बार पढ़ा, उसके गुनाहों में से एक ज़र्रा भर गुनाह बाक़ी नहीं रहता और फ़रमाया जब Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-1638281337480967282008-01-17T05:51:00.000-08:002008-01-21T03:08:25.257-08:00हज़रत मोहम्मद साहब का बयानहमारे नबी का नाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम है, जो पीर के दिन, सुबह सादिक़ के वक्त (12) बारह रबीउल अव्वल, बमुताबिक़ बीस(20) अप्रैल 571 ईसवी, मुल्क अरब के शहर मक्का शरीफ़ में पैदा हुए। आपके वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम हज़रत आमेना है और दादा का नाम अब्दुलमुत्तलिब है और नाना का नाम वहब है।अल्लाह तआला ने हमारे नबी को हर चीज़ से पहले अपने नूर से पैदा फ़रमाया। अम्बिया, Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-37956632149337816052008-01-17T05:50:00.000-08:002008-01-21T05:24:43.700-08:00अल्लाह तआलाअल्लाह तआलाअल्लाह तआला एक है कोई उसका शरीक नहीं, न जात में, न सिफ़ात में, न अफ़आल में, न अहकाम में, न अस्मा में। तमाम जहानों का बनाने वाला वही है, ज़मीन आसमाँ, अर्श व कुर्सी, लोह व क़लम, चाँद व सूरज, आदमी-जानवर, दरिया, पहाड़, वगैरह दुनिया में जितनी भी चीज़ें हैं, सबका पैदा करने वाला वही है, वही रोज़ी देता है, वही सबको पालता है। अमीरी-गरीबी, इज्ज़त-ज़िल्लत, मारना-जिलाना सब उसके इख्तयार में है। वह जिसे Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-67298474181062981162008-01-17T05:49:00.000-08:002008-01-21T05:31:49.525-08:00कुरान पाक का बयानकुरान पाक का बयानअल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है- जब क़ुरान पढ़ा जाए तो उसे कान लगाकर सुनो और ख़ामोश रहो कि तुम पर रहम हो, (कनज़ुलइमान तरजुमा क़ुरान पारा- 9, रुकु- 14, सफ़ा- 284)।रसुलल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया जो क़ुरान पाक पढ़ेगा और उसके मुताबिक़ अमल करेगा, क़यामत के दिन अल्लाह तआला उसके माँ-बाप को एक ताज पहनाएगा, जिसकी रोशनी सूरज की रोशनी से बेहतर होगी (जब माँ-बाप को इतनी इज्ज़त मिलेगी तो पढ़ने वाले को Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-53717480108172386612008-01-17T05:48:00.000-08:002008-01-21T05:43:25.708-08:00नमाज का बयाननमाज का बयान-अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है ऐ मेरे प्यारे मेहबूब तुम कह दो ईमान वालों से निगेहबानी करो सब नमाजों की (यानी पाँच वक्त की फर्ज नमाज़ों को उनके वक्तों पर अरकानें शरायत के साथ अदा करते रहो) और बीच के नमाज़ की (हज़रत इमामे आज़म अबुहनीफा और जमहूर सहाबा रदियल्लाहोत आला अनहु का मजहब यह है कि इससे नमाज़े अस्र मुराद है) (कंज़ुल ईमाम तर्जुमा क़ुरान पारा 2 रुकु 15 सफ़ा 92)। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-28471486114541937062008-01-17T05:42:00.000-08:002008-01-21T05:45:41.496-08:00वुज़ू का बयानवुज़ू का बयान-अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है ऐ ईमान वालों जब नमाज़ को खड़े होना चाहो (और तुम बे वुज़ू हो तो तुम पर वुज़ू फ़र्ज़ है और फ़राईजे वुजू चार हैं जो आगे बयान किए जाते हैं)तो अपना मुँह धोओ कुहनियों तक हाथ धोओ और चौथाई सरों का मसा करो और गट्टों तक पाँव धोओ (कंजूलईमान तर्जुमा क़ुरान पारा ६ रुकु ६ सफ़ा १७२)।रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया क़यामत के दिन मेरी उम्मत इस हालत में बुलाई जाएगी कि Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7199450232536701586.post-13569474637338127512008-01-17T05:19:00.000-08:002008-01-21T05:55:13.683-08:00करबला में लिखी गई थी इस्लामी आतंकवाद की पहली इबारतमोहर्रम का महीना तो दरअसल इस्लामिक कैलेन्डर के अनुसार वर्ष का पहला महीना होता है। परन्तु इसी मोहर्रम माह में करबला (इराक) में लगभग 1400 वर्ष पूर्व अत्याचार व आतंक का जो खूनी खेल एक मुस्लिम बादशाह द्वारा खेला गया, उसकी वजह से आज पूरा इस्लामी जगत मोहर्रम माह का स्वागत नववर्ष की खुशियों के रूप में करने के बजाए शोक व दुःख के वातावरण में करता आ रहा है। शहीद-ए-करबला हजरत इमाम हुसैन को अपनी अश्रुपूरित Bahaar Bareilvihttp://www.blogger.com/profile/11037924590776933502noreply@blogger.com1