Monday, March 31, 2008

अप्रिल फूल की हकीक़त

मुस्लिम कौम को बेवकूफ बनाने का दिन है अप्रिल फूल यानी १ अप्रैल । यही वो दिन है जब यहूदी साजिश पूरी तरह कामयाब हुयी और स्पेन की आखिरी सल्तनत और उसका किला (Grenada )गर्नातः फतह कर लिया गया। और इसी दिन को अप्रिल फूल के तौर पर मनाया। जानते हैं क्यों ? क्योंकी इसी दिन मुस्लिम फौज को बेवकूफ बना कर स्पेन की मुस्लिम हुकूमत को गुलाम बनाया गया।
स्पेन को जीतना किसी भी फौज के लिए बहुत कठिन मरहला था । वो इसलिए क्योंकि स्पेन के मुस्लिम राकावे वाले परहेज़गार मुसलमान थे जिन से लड़ कर जीतना मुमकिन नहीं था इस लिए यहूदी ताक़तों ने ये साजिश की कि उन्हें शराब और सिगरेट को मुफ्त पिलाना शुरू किया और जब पाया कि इनके ईमान ख़राब हो चुके हें उन पर हमला कर दिया और इस चाल से स्पेन की आठ सौ साल पुरानी इस्लामी हुकूमत को अपने कब्जे में ले लिया यह दिन था एक अप्रैल का । और इसी दिन से शुरुरात हुयी अप्रिल फूल बनाने की,यह दिन सिर्फ़ स्पेन की तारिख का काला दिन नहीं था बल्कि मुस्लिम काम के लिए सबक आमोज़ दिन था, मगर हम आज भी उसी भूल को दोहरा रहे हैं ख़ुद को अप्रिल फूल बना रहे हैं काश हम समझ पाते और अप्रिल फूल बनने के बजाये अपने ईमान को मज़बूत करके इस तरह के दिनों को एक सबक और इबरतनाक दिन के तौर पर लेते और यहूदी और ईसाई साजिशों के जाल में न फसते .

4 comments:

yunis said...

Great job
convey the message to other people who never knows about Islam whatever U want ,Keep Continue

ab inconvenienti said...

तुम कट्टरपंथी हो, और तुम्हारा किसी भी चीज़ को देखने का एक ही नजरिया है 'इस्लामी या गैर-इस्लामी'. तुम्हे किसी भी बहाने से ये साबित करना है की जो कोई भी बात हँसी मजाक से जुड़ी है वह सब मुसलमानों के अपमान करने के लिए गैर मुसलमानों की साजिश है. हरा चश्मा उतार के ज़रा आगे पढो...........

सदियों पहले रोमन कैलेण्डर के अनुसार पहली अप्रैल याने वसंत ऋतु का पहला दिन। ईस्वी पूर्व 154 में पहली अप्रैल नए वर्ष का पहला दिन था। जब रोम की सत्ता ईसाइयों के हाथ में आई, तब उन्होंने वसंत की धार्मिक विधि के बदले ईस्टर का आयोजन षुरू किया। पुराने जमाने के लोग फिर भी अप्रैल में ही नया साल मनाते थे, जो नए जमाने के लोगों को अच्छा नहीं लगा, तब नए जमाने के लोगों ने अप्रैल में नया साल मनाने वालों का मजाक उड़ाना षुरू किया। इस तरह से नए लोग उन्हें मूर्ख समझने लगे और उन्हें इस दिन नए-नए ढंग से मूर्ख भी बनाने लगे। इस तरह से अप्रैल फूल डे की षुरुआत हुई।
एक दंतकथा के अनुसार सोलहवीं सदी में फ्रांस में नया साल पहली अप्रैल को षुरु होता था, परंतु ईस्वी सन् 1562 में पोप ग्रेगरी ने नया कैलेण्डर बनाया, जिसके अनुसार नया साल पहली जनवरी से षुरु हुआ। फिर भी कई लोगों ने पहली जनवरी को नए वर्ष के रूप में स्वीकार नहीं किया। वे लोग पुरानी परंपरा के अनुसार ही पहली अप्रैल को नया साल मनाते थे। इससे आधुनिक लोग परंपरावादियों को अप्रैल फूल कहकर चिढ़ाते औैर उन्हें मूर्खता के संदेष भेजते|

Bahaar Bareilvi said...

quin tumhaari baat se main anshta sahmat hoon par poorntya nahin main is article ke bahane apne bhaiyon ko khabardaar karnaa chahta hoon, april fool day ke bare mein ap kii baat par debate ho sakti hai lekin main aap ko wikipedia ka ek coate de rahaa hoon is par bhi gaur karna

Some Dutch also celebrate the 1st of April for other reasons. In 1572, the Netherlands were ruled by Spain's King Philip II. Roaming the region were Dutch rebels who called themselves Geuzen, after the French "gueux," meaning beggars. On April 1, 1572, the Geuzen seized the small coastal town of Den Briel. This event was also the start of the general civil rising against the Spanish in other cities in the Netherlands. The Duke of Alba, commander of the Spanish army could not prevent the uprising. Bril is the Dutch word for glasses, so on April 1, 1572, "Alba lost his glasses." The Dutch commemorate this with humor on the first of April.[

Unknown said...

अप्रिल फूल दिवस क्यों मनाते हैं इस पर कई कहानियाँ हो सकती हैं. इस पर बहस भी की जा सकती है. पर शायद आपके ब्लाग का मकसद कुछ और है. आप की बात बिल्कुल सही है कि अपने ईमान को मजबूत करना बहुत जरूरी है. अगर इमान मजबूत तो किसी साजिश का डर नहीं.